संपादक की कलम से–महंगाई से आम आदमी परेशान
संपादक की कलम से–महंगाई से आम आदमी परेशान
आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का क्रम जारी रहने से आम जनता की आर्थिक दिक्कतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है लेकिन खरीदारी में तेजी नहीं आ रहे हैं। वस्तुओं का मूल्यांकन बढ़ने का एक प्रमुख कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि है, क्योंकि इसमें लॉजिस्टिक की लागत बढ़ गई है। ढुलाई पर खर्च बढ़ने का खामियाजा उपभोक्ताओं को सहन करना पड़ रहा है। ज्यादातर जिंसों की ढुलाई सड़क मार्ग से होती है, जो निरंतर महंगी होती जा रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में डीजल का मूल्य 35% बढ़ गया है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश से आने वाली सब्जियों और अन्य जिंसों की ढुलाई का खर्च बढ़ गया है। ट्रक आपरेटरों ने किराया बढ़ा दिया है। पेट्रोल और डीजल दोनों के मूल्य निरंतर बढ़ रहे हैं । दोनों की कीमतें अब तक सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं । जिसका असर देश पर भी पड़ रहा है । पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान पेट्रोल ₹36 और डीजल ₹27 प्रति लीटर महंगा हो गया है। कीमतों में वृद्धि का सबसे बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार के टैक्स का है । लंबे समय से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की जा रही लेकिन राजस्व के कारण सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहती है। इसका एक विकल्प करो में कटौती है। लेकिन पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी इसके पक्ष में नही है। उनकी दलील है कि वाहन इघन पर उत्पाद शुल्क में कटौती करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले कर से सरकार को आय होती है और इसका इस्तेमाल मुफ्त टीकाकरण अनाज, रसोई गैस वितरण जैसी योजनाओं पर किया जाता है ।ऐसी स्थिति में अब मुख्य प्रश्न यह है कि आम जनता को महंगाई से कैसे राहत दी जाए। इस पर सरकार को शीघ्र निर्णय करने की जरूरत है।
इंडो नेपाल न्यूज़।