महिलाओं के सशक्तिकरण का शिक्षा सबसे बड़ा हथियार
महिलाओं के सशक्तिकरण का शिक्षा सबसे बड़ा हथियार
संपादक की कलम से—-
महिला सशक्तिकरण के राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत वाराणसी से होना गौरव की बात है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने शनिवार को इस अभियान का शुभारंभ करते हुए कहा कि आज की नारी समाज में अपनी योग्यता के अनुसार पुरुषों के समान दर्जा और सम्मान पाने का अधिकार चाहती हैं। उन्होंने नारी शिक्षा को महिला सशक्तिकरण का मुख्य आधार बताया जो उचित है, क्योंकि इससे महिलाएं स्वावलंबी बनेंगी और समाज में भी सम्मान की दृष्टि से देखे जाएंगी। शिक्षा के प्रति महिलाओं का जागरूक होना बहुत जरूरी है। लड़को की शिक्षा से सिर्फ एक लड़का शिक्षित होता है। जबकि लड़की की शिक्षा से एक परिवार शिक्षित होता है। समाज जितना ही शिक्षित होगा देश उतना ही मजबूत होगा। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अस्तित्व में आने से महिला जागरूकता में राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से अब तक लगभग 15 लाख महिलाएं लाभान्वित हुई है। इससे महिलाओं का विश्वास बहुत बड़ा है। किसी भी सभ्य समाज के लिए शिक्षा पहली आवश्यकता है। शिक्षा की कमी और अभाव में ही महिलाएं कमजोर हुई हैं। इस क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत है। लड़कियों को पढ़ने और पढ़ाने के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी परिवार की है। शिक्षा के लिए उम्र की कोई बाध्यता नहीं है। प्रौढ़ महिलाओं को भी सूचित किया जाना चाहिए । महिलाओं से संबंधित अनेक कानून अस्तित्व में हैं। जिनके बारे में महिलाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है। आज के दौर में देश में महिलाओं का उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है। ऐसी महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति
आवाज उठानी चाहिए। इसके लिए उन्हें शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं का उत्पीड़न रोकने उन्हें जागरूक करने और उनके उत्थान के लिए सरकार के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए। क्योंकि इससे नारी सशक्तिकरण को नई ऊर्जा मिलेगी।
(इंडो नेपाल न्यूज़)