संपादक की कलम से–चुनौतियों पर चिंतन आवश्यक
संपादक की कलम से–चुनौतियों पर चिंतन आवश्यक
आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर आई चुनौतियों पर शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ तीन दिवसीय महा मंथन के दौरान आतंकवाद को मजबूती से कुचलने का संकल्प प्रसांगिक होने के साथ आवश्यक भी है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के साथ इस व्यापक विमर्श को काफी महत्वपूर्ण माना जाएगा, जिसमें पुलिस बल की भूमिका के विविध पक्षों को रेखांकित किया गया। आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों पर दायरा बढ़ने से पुलिस बल की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। कानून व्यवस्था के चुनौतियों का स्वरूप भी बदल गया है। यह चौथी पीढ़ी वार फेयर का प्रमुख हिस्सा बन गई है। सीमा पर आमने-सामने के बजाय दुश्मन देश के अंदर अस्थिरता उत्पन्न करने की जो साजिश रच रहा है। उसका मुंहतोड़ जवाब देना आवश्यक है । इसमें राज्य और उनके पुलिस बल के बीच बेहतर सामंजस्य होना जरूरी जरूरी है। इसलिए राज्यों के बीच आपसी टकराव और भेदभाव से बचने की जरूरत है। तभी आंतरिक समस्याओं के साथ मजबूती से लड़ा जा सकता है। इसके लिए संभावित त्वरित कार्रवाई से अच्छे परिणामों की संभावना बढ़ती है। स्वराष्ट्र मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की उपस्थिति में लखनऊ में आयोजित पुलिस महानिदेशको और महा निरीक्षक की 56 वी अखिल भारतीय सम्मेलन में
आतंकवाद, वामपंथी, उग्रवाद तटीय सुरक्षा, नारकोटिक, साइबर अपराध तथा सीमा प्रबंधन जैसे विषयों पर विचार करने के साथ पुलिस आधुनिकरण पर चिंतन मनन किया गया, जो अपराध के बदलते स्वरूप को देखते हुए आवश्यक हो गया है। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि पुलिस अपनी कार्यशैली में भी बदलाव लाए। जांच एजेंसियों को भी अपनी कार्यशैली बदलनी होगी। उन्हें जांच को लटकाए रखने की प्रवृत्ति को छोड़ना होगा । जिससे कि मामलों का समय के अंदर निस्तारण हो सके। गैर सरकारी संस्थाओं एनजीओ के बदलते चरित्र और उनकी भूमिका पर विचार किया जाय । ऐसी संस्थाओं पर पैनी नजर रखनी होगी जिन्हें विदेशों से धन मिलता है । उन संस्थाओं को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए जो देश विरोधी में लिप्त हैं।
(इंडो नेपाल न्यूज़)