मधेशियों की लाशों पर बिछा रहे राजनैतिक बिसात
मधेशियों की लाशों पर बिछा रहे राजनैतिक बिसात
– मधेशियों के दमन से सवालों में घिरा शीर्ष नेतृत्व
– महंत ठाकुर, उपेंद्र यादव व राजेंद्र महतो के खिलाफ मुखर हुये स्वर
आईएन न्यूज ब्यूरो, नेपाल से धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट
नेपाल के सप्तरी जिले के राजविराज में सोमवार को पुलिस की फायरिंग में चार मधेशी कार्यकर्ताओं की मौत के बाद की बड़े सवाल खड़े हो गये है। तमाम मधेशी गठबंधन के घटना के विरोध में तराई जिले में बंद का आह्वान कर दिया है। वहीं कई संगठनों ने महंत ठाकुर, उपेंद्र यादव व राजेंद्र महतो जैसे शीर्ष मधेशी नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिये हैं। आरोप लगाये जा रहे हैं कि ये मधेशी नेता भोले भाले मधेशियों की लाशों पर अपनी राजनैतिक बिसात बिछाने की जुगत में हैं, न कि मधेशी अधिकारों को पुख्ता करने में।
बता दें कि नेपाल में मधेशियों की रहनुमा के नाम पर तीन राजनैतिक पार्टियां है। तराई मधेश लोकतांत्रिक पार्टी, संघीय समाजवादी फोरम तथा सद् भावना पार्टी। जिनके राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रमशः महंत ठाकुर, उपेंद्र यादव व राजेंद्र महतो हैं।
इन पार्टियों का अस्तित्व भी प्रबलता से तब आया, जब पूर्ण गणतंत्र बन रहे नेपाल राष्ट्र में मधेशी अधिकारों को लेकर आवाज़ उठनी शुरु हुई।
इस समय सभी मधेशी दलों व कांग्रेस ने माओवादियों को समर्थन देकर माओवादियों की सरकार बनायी है। यह वही सरकार है जिसके नेतृत्व में संविधान बना है और मधेशी अपने मांगों को निहित कराने को रिरक रहे हैं।
बिथरी, मर्चवार और फिर सप्तरी में नेपाल पुलिस की फायरिंग में मौतें और मधेश समुदाय के लोगों का हताहत होने के बाद भी मधेश आवाज को बुलंद करने का ठेका लिये शीर्ष नेताओं की चुप्पी सवालों के घेरे में हैं।
स्वतंत्र मधेश गठबंधन समेत कई थारु संगठनों ने सवाल उठाये हैं कि मधेशियों पर दमन करने वाली सरकार से मधेशी नेता क्यों गठबंधन किये हैं?
पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री व एमाले के राष्ट्रीय अध्यक्ष केपी ओली ने भी सप्तरी में मारे गये व घायल लोगों के परिवार के प्रति संवेदना जताई है। साथ ही नेपाल सरकार व पुलिस फायरिंग की घटना की निंदा की है।