अलविदा सुरों की लता
अलविदा सुरों की लता
संपादक की कलम से
सभी की महान गायिका और हर आम और खास संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाली लता मंगेशकर के निधन से पूरे देश और विदेशों में बसे उनके गीतों के प्रशंसक मर्ममाहत और शोक संतप्त हैं। कोरोना से संक्रमित लता मंगेशकर ने रविवार को प्रातः मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 8 जनवरी को अस्पताल में भर्ती हुई थी और 27 दिनों तक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष के दौरान अंततः कॉल ने उन्हें सदा के लिए हमसे छीन लिया ।
सुरों की लता का निधन राष्ट्र और संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है। देश और विदेशों से लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा, जो उनकी लोकप्रियता का दृष्टांत है। हर वर्ग और क्षेत्र के लोगों ने शब्दों से श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने लता मंगेशकर को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह ह्रदय विदारक घटना है । भारत रत्न लता जी की उपलब्धियां अतुलनीय है । उन्होंने कहा कि लता दीदी के जाने से देश में जो खाली पन आया है। उसे भरा नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई गए जो लता जी के प्रति उनके श्रद्धा भाव को प्रदर्शित करता है ।भारत सरकार ने 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। लता मंगेशकर का व्यक्तित्व और संगीत सेवा अतुलनीय है । उनकी जीवन यात्रा संघर्षों का एक ऐसा ग्रंथ है जो सदियों तक लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने स्कूल या कॉलेज में कोई शिक्षा प्राप्त नहीं की, लेकिन छह प्रमुख विश्वविद्यालयों ने उन्हें डाक्ट्रेड की मानद उपाधि से सम्मानित कर स्वयं को सम्मानित किया है । उनके स्वर में अद्भुत जादू था । कवि प्रदीप के लिखे ए मेरे वतन के लोगों गीत सुनकर पंडित जवाहरलाल नेहरु भी रो पड़े थे। लता जी का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन के गाए । लेकिन उनके गाए गीत सदैव गूंजते रहेंगे। लता की आवाज उनकी पहचान है। जो अनंत काल तक अमर रहेगी । ऐसे विभूति को इंडो नेपाल न्यूज़ नमन करता है।
(इंडो नेपाल न्यूज़)