नौतनवा विधानसभा क्षेत्र की जनता निराली है,अपने हिसाब से चुनती है विधायक
नौतनवा विधानसभा क्षेत्र की जनता निराली है,अपने हिसाब से चुनती है विधायक
आई एन न्यूज चनाव डेस्क:
नौतनवा विधानसभा क्षेत्र की जनता निराली है कभी भी सत्ता पक्ष को तवज्जो नहीं दिए और अपने हिसाब से विधायक चुने। जातिगत गोलबंदी में दल-बदल ने अपने समीकरण बनाए और जो इन समीकरणों को साध पाया, उसे ही कुर्सी मिली। तीन दशक से दो परिवारों को ही मौका देने वाली नौतनवा विधानसभा सीट पर एक बार फिर रोमांचक संघर्ष शुरू हो गया है।
नौतनवा विधानसभा जो कभी लक्ष्मीपुर के नाम से जाना जाता था। इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का झंडा बुलंद रहा तो सपा-बसपा ने भी पैठ बनाई, लेकिन भाजपा का कमल यहां कभी नहीं खिला।
2012 के चुनावों से नौतनवां विधानसभा क्षेत्र के नाम से पहचानी जाने वाली इस सीट पर पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी या पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह के परिवार का ही कब्जा रहा है। 1989 से 2017 तक हुए आठ विधानसभा चुनावों में पांच बार अमर मणि के परिवार का कब्जा रहा तो तीन बार कुंवर अखिलेश के। 1989 में अमरमणि कांग्रेस के टिकट पर कुंवर अखिलेश सिंह से 3257 मतों से पराजित कर पहली बार विधायक बने। दो साल बाद 1991 में समीकरण बदला और जनता पार्टी के कुंवर अखिलेश ने कांग्रेसी अमरमणि को 6568 मतों से हरा दिया। 1993 में फिर चुनाव हुए और अखिलेश सपा में आ गए।
समीकरण बदला और भाजपा यहां पहली बार दूसरे स्थान पर आई। अखिलेश ने भाजपा के राकेश त्रिपाठी को 12 हजार मतों से हरा दिया। कांग्रेस के अमर मणि त्रिपाठी यहां तीसरे स्थान पर रहे।
1996 के चुनाव में कांग्रेसी मुन्ना सिंह अमरमणि के विरोध में साइकिल पर सवार होकर लड़े, लेकिन 8859 मतों से पराजित हुए।
2002 में अमरमणि बसपा में आ गए और सपा प्रत्याशी कुंवर कौशल किशोर सिंह को 6000 मतों से हरा दिया। वर्ष 2007 के चुनाव में दल-बदल ने समीकरण बदला।
अमरमणि हाथी से उतरकर साइकिल पर सवार हो चुके थे, जबकि मुन्ना सिंह राष्ट्रीय जनता दल से भाग्य आजमा रहे थे। समीकरण अमरमणि के पक्ष में गया और यहां पहली बार हार-जीत का अंतर 19133 मतों का रहा। 2012 के चुनाव में अमरमणि त्रिपाठी के परिवार से पहली बार उनके पुत्र अमन मणि त्रिपाठी चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस में शामिल हो चुके कुंवर कौशल किशोर ने समीकरण साध लिया और साइकिल सवार अमन मणि 7837 मतों से हार गए। 2017 में कुंवर कौशल किशोर ने साइकिल की सवारी कर पुराने समीकरण साधने की कोशिश की। अमन निर्दल लड़े और 31 हजार से अधिक मतों से कुंवर को हराने में सफल रहे। भाजपा भी 45 हजार से अधिक मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रही। कुल मिलाकर के 40 साल के इतिहास में कभी भी नौतनवा विधानसभा में कमल नहीं खिला। इस विधानसभा की जनता निराली है और अपने हिसाब से विधायक चुनती है।
महाराजगंज उत्तर प्रदेश।