संपादक की कलम से-इजराइल का हस्तक्षेप एक सराहनीय पहल
संपादक की कलम से-इजराइल का हस्तक्षेप एक सराहनीय पहल
संपादकीय:
यूक्रेन और रूस के बीच पिछले 11 दिनों से जारी युद्ध से उत्पन्न तबाही का मंजर अत्यंत ही भयावह और पूरी दुनिया के शांतिप्रिय देशों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। दोनों पक्षों के तेवर को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि युद्ध कब समाप्त होगा अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का असर रूस पर पड़ने लगा है, और रुस की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। इससे बौखलाए रूस ने यूक्रेन को देश का दर्जा समाप्त करने की धमकी भी दे डाली है । साथ ही यह भी कहा है कि वह यूक्रेन का अस्तित्व ही समाप्त कर देगा। दोनों देशों के बीच युद्ध का प्रभाव विश्व के अन्य देशों पर भी पड़ रहा है। यदि यह युध लंबा खींचता है तो इसका और भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा। रूस और यूक्रेन एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं जो उचित नहीं है । रूस का कहना है कि यूक्रेन चेरनोबिल मे प्लेटेनियम आधारित परमाणु हथियार डर्टी बम बना रहा है। इसका कोई विश्वासनीय प्रमाण सामने तो नहीं आया है, लेकिन यदि यह सत्य है तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जाएगा। कुछ देशों को छोड़ दिया जाए तो पूरा विश्व युद्ध के तत्काल समाप्त होने के पक्ष में है। इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है ,जो पूरी तरह से ईमानदारी के साथ होना चाहिए। इजराइल इस दिशा में अच्छी पहल की है और वहां के प्रधानमंत्री ने शनिवार को रात में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ लगभग 3 घंटे के वार्ता के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से भी बातचीत किया।
जेलेस्की ने इस प्रकरण में इजराइल से हस्ताक्षेप कर कोई गलत कदम नहीं उठाया है । लेकिन एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि दोनों देश कितना महत्व देते हैं । यदि बात आगे बढ़ती है तो इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे। इसके लिए जरूरी है कि दोनों देश युद्ध की समाप्ति के बारे में माहौल तैयार करें और उस पर अमल भी करें। युद्ध समाधान का रास्ता नहीं है। इसके लिए बातचीत का मार्ग अपनाना पड़ेगा । यदि इजराइल भूमिका निभाकर दोनों देशों को राजी कर ले तो बड़ी बात होगी।
(इंडो नेपाल न्यूज़)