संपादक की कलम से- अनुचित है ब्याज दर में कमी

संपादक की कलम से- अनुचित है ब्याज दर में कमी

संपादक की कलम से-

अनुचित है ब्याज दर में कमी
एक तरफ देश में जहां लोग महंगाई की दंस से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पीएफ पर मिलने वाला ब्याज दर घटाकर कर्मचारियों और श्रमिकों की मुश्किलें बढ़ा दी गई हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के यह निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने 2021-22 के लिए ईपीएफ पर मिलने वाले ब्याज दर को 8.4 से घटाकर 8.1% ब्याज देने का फैसला किया है । इस कटौती के बाद ही पीएफ पर ब्याज दर चार दशक सबसे कम हो गई है। इससे पहले समय से भविष्य निधि पर ब्याज दर बढ़ाने का इंतजार कर रहे लोगों को बड़ा झटका लगा है । कटौती ऐसे समय की गई जब रेपोरेट में बढ़ोतरी किए जाने की आशंका जताई जा रही है। इससे लोगों का आर्थिक बोझ बढ़ेगा और उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी।
हालांकि उच्चतम स्तर ब्याज दर 12% पहुंच गए थे। इसके बाद से लगातार ब्याज दर में कमी देखी जा रही है जो कर्मचारियों के हित के प्रतिकूल है। भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज से सेवानिवृत्त के बाद जीवन यापन का मुख्य आधार होता है और बुढ़ापे में लाठी का काम करता है। ऐसे में ब्याज दर बढ़ाने की जगह – कमी न्याय संगत नहीं है। इससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ने से उनकी दिक्कतें बढ़ेंगी। हालांकि इस पर अभी वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलनी बाकी है । इसलिए सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अगर ब्याज दर बढ़ाने की स्थित नहीं तो ब्याज दर को घटाना भी नहीं चाहिए( ईपीएफओ) के फैसले से लगभग 6 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होंगे जो उचित नहीं है। ईपीएफओ को भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
(इंडो नेपाल न्यूज़)

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