गंगा संस्कृति को बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा

गंगा संस्कृति को बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा

गंगा संस्कृति को बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा
संपादक की कलम से
नदी संस्कृत का संरक्षण है। गंगा महज राष्ट्रीय नदी ही नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था के प्रति और देश की सांस्कृति आध्यात्मिक धरोहर है। यह देश के आर्थिक विकास का केंद्र और देश के 40% से अधिक आबादी की जीवन रेखा भी है।
पिछले 36 वर्षों से खरबो रुपए खर्च करने के बावजूद गंगा का प्रदूषण मुक्त न होना चिंतनीय है। नालों का गंदा पानी, खतरनाक रासायनिक पदार्थ का गंगा में गिरना इसका कारण है।
गंगा में कूड़ा कचरा के साथ इंसानों और जानवरों के शव को बहाना प्रदूषण को और बढ़ाते हैं । ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नदियों और तालाबों में शव को ना फेके जाने और गंगा की अभी अविरलता के लिए जनांदोलन चलाने का जो आवाहन किया है, वह गंगा को बचाने के लिए जरूरी है। बिना जन सहभागिता के गंगा को निर्मल अविरल बनाना संभोग नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मां गंगा के प्रति हमारी सनातन आस्था को व्यावहारिक होना चाहिए। गंगा और नदियों को अविरल निर्मल रखने के लिए अंतिम संस्कार के लिए जल प्रवाह से से दूरी बनानी होगी। नदी संस्कृत को बचाने से ही विश्व रक्षा का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने सही कहा कि गंगा संस्कृति को बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा। गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जनता की है। जनता को यह तय करना होगा कि वह ना तो गंगा में कूड़ा कचरा और शव डांलगे और ना ही किसी को डालने देंगे।गंगा की उदगम स्थल से लेकर गंगासागर तक गंगा नदी के तट पर बसे लोगों को विशेष जिम्मेदारी निभाना होगी। इसके साथ ही सरकार को नालों का गंदा पानी और खतरनाक रसायन गंगा में गिरने से रोकना होगा। हालांकि कुछ जगहों पर काम किए गए हैं लेकिन अभी और कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
(इंडो नेपाल न्यूज़)

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Translate »
  1. ब्रेकिंग न्यूज़: ऊ०प्र०- जिले की हर छोटी बड़ी खबर लाइव देखने के लिए
  2. जुड़े रहे इंडोनेपालन्यूज़ के फेसबुक पेज से, शहर के हर छोटी बड़ी खबर हम आपको लाइव दिखाएंगे