नौतनवा: नईकोट रेलवे स्टेशन अपने बदहाली पर बह रहा है आंसू
नौतनवा: नईकोट रेलवे स्टेशन अपने बदहाली पर बह रहा है आंसू
आई एन न्यूज नौतनवां डेस्क:
नौतनवां तहसील अंतर्गत 1924 मेंं बना रेलवे स्टेशन नईकोट पर यात्री सुविधाओं के लाले पड़े हैं।
गोरखपुर – नौतनवां रेल मार्ग पर नईकोट रेलवे स्टेशन सबसे पुराना माना जाता है।
पहले यहां दो रेलवे ट्रेक थे। यहां पर मालगाड़ी से माल लाकर उतारा जाता था। स्टेशन पर कई कर्मचारी हुआ करते थे लेकिन कुछ सालों पहले इसे हाल्ट स्टेशन बना दिया गया यही से इस स्टेशन की बदहाली शुरू हो गयी। यहां शुद्ध पेय जल, शौचालय, छाजन,बैठने की व्यवस्था, रात में लाइट नही सहित तमाम यात्री सुविधाएं सिर्फ कागजों में हैं। प्लेटफार्म नीचा होने से सर्वाधिक दिक्कत यात्रियों को ट्रेन मे चढ़ने व उतरने में होती है। इस स्टेशन से अड्डा बाजार व जंगल तक के लोग ही नही नेपाल के मर्चवार तक के लोग प्रतिदिन यात्रा करते है । यहां से हजारो यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है। झस क्षेत्र के लोगो का आवागमन का मुख्य का साधन रेल ही है पर सुविधाओं के अभाव में यात्रियों को हर दिन परेशान होना पड़ता है। प्रतिक्षालय, विश्रामालय की सुविधा की बात कौन करे यहां तो प्लेटफार्मो पर यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त सीटें भी नहीं हैं। और जो है वो टूट गयी है । गर्मी के इस महीने में टंकी और टोटी का स्टेक्चर बस बना है पानी नही है। स्टेशन पर मात्र हैंडपंप हैं बस एक सही है यात्रियों को उस समय दिक्कत होती है जब उन्हें पानी की जरूरत होती है। हद तो तब हो जाती है जब कोई ट्रेन रूकती है और यात्री पानी के लिए, नल और टोटियों के पास दौड़ते हुए जाते हैं और पानी न मिलने पर मायूस हो लौट आते हैं। छाजन की बात करें तो छाजन तो है पर अन्दर बेंच टूट चुके है यात्रियों को खुले आसमान तले ट्रेनों का इंतजार करना पड़ता है। बाउंड्रीवाल जगह-जगह टूट गई है जिसके चलते दो पहिया वाहन प्लेटफार्म पर पहुंच फर्राटे भरते हैं। शौचालय इतना गंदा है कि लोग इसे इस्तेमाल करने से कतराते हैं। बिजली के तेरह पोल है जिसमे से बस एक पर लाइट जलती है,रात में अंधेरे के कारण कई लोग चोटिल तक हो गये है। बैठने की कोई व्यवस्था नही है। बैठने के लिए जो सीमेंट के चबूतरे बने थे वे टूट गये है, प्लेटफार्म नीचा होने के कारण लोगो को चढने व उतरने मे लोगो को काफी मुश्किल होती है।
गन्दगी का आलम यह है कि स्टेशन चारो तरफ से कूडें – करकट से पटा है। बरसात के समय छत से पानी चूता है। जर्जर हो चुके टिकटघर की वर्षो से सुध नही ली गयी है। यहां तक की स्टेशन पर आने जाने की समुचित व्यवस्था तक नही है।
इस सम्बन्ध में लोगो का कहना है कि कई बार इस सम्बन्ध में रेलवे के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है लेकिन विभाग द्वारा कोई ध्यान नही दिया गया। क्षेत्र के समाजसेवी देशदीपक पान्डेय, जितेन्द्र सिंह, राजू पान्डेय, सोमनाथ पान्डेय, विपीन अग्रहरी,सुबाष, मुकेश सागर, सुनील यादव, दिनेश सिंह, कृष्णा गुप्ता, प्रदीप सहानी तमाम लोगो ने रेल विभाग से समस्याओं को दूर करने की मांग की है।
महाराजगंज उत्तर प्रदेश।