विधान सभा के चुनाव नतीजो पर क्या कहते हैं पड़ोसी देश नेपाल के प्रमुख समाचार पत्र-
विधान सभा के चुनाव नतीजो पर क्या कहते हैं पड़ोसी देश नेपाल के प्रमुख समाचार पत्र——–
भारत के पांच विधानसभाओं के चुनाव नतीजों पर———–
बीते शनिवार को भारत की पांच विधानसभा के चुनाव नतीजे घोषित हुए उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मणिपुर गोवा और पंजाब । पंजाब में कांग्रेस ने फतह हासिल की, मणिपुर व गोवा मे न काग्रेश बहुमत हासिल की और न ही भाजपा,जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनो सूबो में भाजपा ने शानदार विजय हासिल की । इन पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश की नतीजों ने सबसे अधिक ध्यान खींचा । करीब 22 करोड वाला उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है । इसकी सीमाएं नेपाल से जुड़ती हैै । भाजपा ने इस राज्य की करीब तीन चौथाई सीटें जीती है । 1957 के बाद यह किसी पार्टी की सबसे बड़ी विजय है। आने वाले दिनों में भाजपा की इस जीत के गहरे असर गहरे असर दिखेंगे। विश्लेषक तो अभी से संकेत दे रहे हैं कि वर्ष 2019 के आम चुनाव में भारी जीत दर्ज करेगी । बरहाल,उत्तर प्रदेश की जीत यह संकेत देती है कि भारतीय राजनीति में उसका एकाधिकार कायम हो चुका है ।और इसका मतलब है भारतीय समाज और राजनीति में हर नजरिए से व्यापक बदलाव । आज तक कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के मुकाबले हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा बचाव की मुद्रा में ही रही, पर अब सार्वजनिक विमर्श में उसने जैसा दबदबा कायम किया है , वह ऐसा पहले कभी नहीं दिखा। जाहिर है नेपाली राजनीति भी इससे प्रभावित हो सकती है । उत्तर प्रदेश में भाजपा की विराट जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है । पूर्व में RSS वह भाजपा संगठन का उसके नेताओं पर काफी हद तक नियंत्रण रहता था । लेकिन अब इसका सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि नरेंद्र मोदी का पार्टी पर आज जैसा नियंत्रण है वैसा भाजपा के इतिहास में कभी किसी नेता का नहीं रहा। इसमें कोई दो राय नहीं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत से अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों में डर बढ़ेगा । पर हम कामना करेंगे कि पार्टी ऐसे कदम नहीं उठाएगी, जिनसे विभिन्न समुदायों के बीच खाई चौड़ी हो। नेपाल में सक्रिय हिंदू राष्ट्रवाद के समर्थक पहले से ही नाजुक बदलाव की प्रक्रिया को और अस्थिर कर सकते हैं । मगर नई दिल्ली को लोकतांत्रिक संघवाद का साथ देना चाहिए ।
(द काठमांडू पोस्ट नेपाल)