क्यों विश्वकर्मा को कहते हैं कलियुग के देवता, कैसे हुआ इस देवता का जन्म- जानिए
क्यों विश्वकर्मा को कहते हैं कलियुग के देवता, कैसे हुआ इस देवता का जन्म- जानिए
आई एन न्यूज डेस्क:
देवता का जन्म कैसे हुआ और इस देवता के पीछे का इतिहास क्या है, क्यों इन्हें कलियुग का देवता कहते हैं
भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के मानस पुत्र माने जाते हैं. मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से तमाम इंजीनियर, मिस्त्री, वेल्डर, बढ़ई, जैसे कार्य से जुड़े लोग अधिक कुशल बनते हैं।
विश्वकर्मा की पूजा करने से आपके काम में बरकत होती है, कारोबार में बढ़ोत्तरी और धन समृद्धि मिलती है। उनके पीछे एक पौराणिक कथा है और आज के कलियुग में क्यों उनकी पूजा करनी चाहिए, चलिए जानते हैं।
क्यों कलियुग में इन्हें पूजा जाता है ।
दरअसल, आज का समय लैपटॉप,मोबाइल और गैजेट्स का है, पूरी दुनिया डिजिटल हो गई है, हर कोई इन्हीं चीजों के साथ जिंदगी बिताता है। ऐसे में औजार के देवता विश्वकर्मा को पूजने से आपको मन चाहा फल और सफलता मिलती है। इसलिए इन्हें कलियुग के देवता भी कहते हैं क्योंकि ये निर्माण करते हैं और अस्त्र शस्त्र के निर्माता हैं। दरअसल आज के समय में कितना कुछ नया आविष्कार होते जा रहा है, ऐसे में आज विश्वकर्मा की जरूरूत ज्यादा बन गई है।
पौराणिक कथा—-
पौराणिक कथा के अनुसार,सृष्टि को संवारने की जिम्मेदारी ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा को सौंपी थी, ब्रह्मा जी को अपने वंशज और भगवान विश्वकर्मा की कला पर पूर्ण विश्वास था। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया तो वह एक विशालकाय अंडे के आकार की थी, उस अंडे से ही सृष्टि की उत्पत्ति हुई। कहते हैं कि बाद में ब्रह्माजी ने इसे शेषनाग की जीभ पर रख दिया। शेषनाग के हिलने से सृष्टि को नुकसान होता था, इस बात से परेशान होकर ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा से इसका उपाय पूछा। भगवान विश्वकर्मा ने मेरू पर्वत को जल में रखवा कर सृष्टि को स्थिर कर दिया। भगवान विश्वकर्मा की निर्माण क्षमता और शिल्पकला से ब्रह्माजी बेहद प्रभावित हुए, तभी से भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार मनाते हैं। भगवान विश्वकर्मा की छोटी से छोटी दुकानों में भी पूजा की जाती है।