अपनी बात —— भोगियों के बाद योगियों के राज

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अपनी बात ——

भोगियों के बाद योगियों के राज

🌺सुप्रभात-सम्पादकीय🌺

साथियों,

       देश में भोगी नेताओं का समय समाप्त हो गया और योगियों के समय आ गया है।भोगी और योगी में जमीन आसमान का अंतर होता है।भोगियों ने इस देश को आजादी के बाद से इस कदर भोगा कि देश की संस्कृति बदल गयी और हरामखोरी बेइमानी खून में व्याप्त हो गयी।इतने राजनैतिक घोटाले और कमीशनखोरी हुयी कि ईमानदारी त्राहिमाम् कहकर भागने लगी।यह युग परिवर्तन की वेला में कमाने वाला खायेगा लूटने वाला जायेगा और नया जमाना आयेगा का नारा मूर्तिरूप लेने की आशा की जा है।ईश्वरीय शक्तियाँ अपना कार्य कर रही हैं और अपने लक्ष्य को बुलंदियों तक पहुँचाने के लिये नेक लोगों का इस्तेमाल कर रही हैं।नवयुग की परिवर्तन वेला पर देश की बागडोर अप्रत्याशित रूप से ऐसे व्यक्ति को मिली है जो किसी योगी संत महात्मा से कम नहीं है।यहीं कारण है कि ईश्वरीय शक्तियाँ उनका साथ देकर उनके अनुकूल लोगों को उनसे जोड़ रही हैं।जिस तरह से मोदीजी को लोकसभा में अप्रत्याशित विजय मिली थी उसी तरह विधान सभा चुनावों में भी मिली है। यह ईश्वरीय गति ही है कि मनोज सिन्हा का नाम मुख्यमंत्री के रूप में बुलन्दियो पर पहुँचने के बाद अचानक बदलाव हो गया और किसी राजनैतिक भोगी राजनेता की जगह एक ऐसे योगी का नाम आ गया जिसकी चुनाव परिणाम की तरह कोई कल्पना तक नहीं करता था।यह बात अलग है कि मोदी के साथ लोग प्रदेश में योगी को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे।नवयुग के संवाहक के रूप में योगीजी को देखा जा रहा है और प्रकृति नेचर ईश्वर मालिक सबकुछ अपनी इच्छानुसार करवा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहली बार कोई हिन्दूवादी, गौ रक्षक, धर्म रक्षक, मानवता रक्षक, मानव रक्षक और मातृभूमि रक्षक योगीराज संत आसीन हुआ है। माना जाता है कि अब धर्म की ध्वजा तो फहरायेगी ही साथ ही इंसानियत का कारवाँ बुलंदियों को छूयेगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य धर्मावलंबियों को कोई दुख मुसीबत का सामना करना पड़ेगा।इतना जरूर है कि हिन्दुस्तान में रहना है तो हिन्दुस्तानी बनकर रहना पड़ेगा।दुश्मन देश की जीत पर अपने देश में जश्न मनाया जाय और हारने पर गम मनाया जाय यह कौन सी देशभक्ति है? यह तो सरासर राष्ट्रद्रोह है और राष्ट्र द्रोही को राष्ट्र में रहने का कोई अधिकार नहीं होता है।योगीजी ने अपने पूरे दो दशक के कार्यकाल में कभी भी कोई विवादित बयान नहीं दिया बल्कि सच्चाई कही है। यह बाद अलग है कि मीडिया हमेशा उनके हर बयान को विवादित बयान लिखकर अल्पसंख्यकों को भड़काती रही है।योगीजी ऐसी पीठ से जुड़े हैं जहाँ हिन्दू मुस्लिम दोनों पनाह पाते हैं।योगीजी के मंत्रिमंडल में दो अल्पसंख्यकों को भी इसीलिए शामिल किया गया है ताकि राजनैतिक सौदागर कोई उन्हें दिगभ्रमित करके बरगला न सके।यह पहला अवसर है जबकि अल्पसंख्यकों का इतना  समर्थन भाजपा को तीन तलाक मुद्दे को लेकर मिला है।तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी के प्रति उपजी हमदर्दी व विश्वास को मूर्तिरूप देना समय की आवश्यकता मानी जा रही है।। योगीजी के दो साथी भी इस नवयुग के संवाहक के रूप में शामिल हुये जिनमें एक तो मोदी की तरह गरीबी में पढ़ा बढ़ा चाय बेचने वाले का लड़का है तो दूसरा शांति सरल संत स्वाभाव ईमानदारी की प्रतिमूर्ति योग्य लखनऊ का भाग्य विधाता रह चुका है।केशव प्रसाद मौर्या व डा दिनेश शर्मा योगी के दाहिने बांये अंग के रूप में प्रकृति द्वारा प्रदत्त माने जाते हैं।माना जा रहा है कि योगीजी का कार्यकाल अभूतपूर्व ऐतिहासिक होगा जिसमें भाजपा का चुनावी संकल्प पत्र के साथ ही गोरक्षपीठ का संकल्प भी मूर्तिरूप लेगा।धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।। सुप्रभात / वंदेमातरम् / गुडमार्निग / शुभकामनाएँ।। ऊँ भूर्भवः स्वः——/ ऊँ नमः शिवाय।।।                      भोलानाथ मिश्र

      वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी

   रामसनेहीघाट,बाराबंकी यूपी।

(यह बिचार लेखक के अपने है )

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