पछुआ पवन की बेरुखी ने किसानों की उड़ाई नींद

पछुआ पवन की बेरुखी ने किसानों की उड़ाई नींद

पछुआ पवन की बेरुखी ने किसानों की उड़ाई नींद
– जलवायु परिवर्तन से गेहूं की फसल को नुकसान

indonepalnews आईएन न्यूज, नौतनवा (धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट):-

ओले और बारिश की मार खाने के बाद बची-खुची गेंहूं की फसल कटने को तैयार है। मगर अब वह पहुवा पवन के गर्म थपेड़े बिना बदरंग है। किसान भी परेशान हैं कि इस बार तराई क्षेत्र में पहुवा पवन की बजाय पुरवा पवन के झोंके हिलोरे ले रहे हैं। जो बारिश और बादलों के प्रतीक हैं। ऐसे में किसान रह रह कर आसमान में तैरते बादलों को घूर रहा है और पछुवा पवन के आगमन का इंतजार कर रहा है।
अमूमन मार्च माह का दूसरे पखवाड़े की शुरुआत से ही पछुआ पवन के गर्म झोंके गेंहू के फसल को पकाने के लिये सबसे अनुकूल माने जाते हैं। जिससे फसल कटने के लिये तैयार हो जाती है। क्षेत्रीय भाषा में किसान अवस्था को गेहूं की “डंठल चढ़ना” कहते हैं। मगर इस बार हवाओं का खेल उलट रहा। मार्च माह की शुरुआत में ही बंगाल की खाड़ी से उठे पुरवा पवन के तेज झोंकों ने पछुवा पवन को अरब सागर में ही दबा दिया। जिससे फसलों को बारिश व ओलावृष्टि की मार झेलनी पड़ी।
हवाओं के इस बिगड़े खेल को वैज्ञानिक “ग्लोबल वामिंग” और “ग्रीन हाउस इफेक्ट” के कारण हुआ जलवायु परिवर्तन बता रहे हैं। गेहूं की फसल को हो रहा नुकसान जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव का एक उदाहरण है।

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