हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिले : प्रोफेसर गणेश पाण्डेय

हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिले : प्रोफेसर गणेश पाण्डेय

हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिले : प्रोफेसर गणेश पाण्डेयहिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिले : प्रोफेसर गणेश पाण्डेय

हिंदी दिवस पर संगोष्ठी
आई एन न्यूज आनन्दनगर डेस्क:
लाल बहादुर शास्त्री स्मारक पी.जी. कॉलेज आनन्दनगर, महराजगंज के हिन्दी विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में 14 सितंबर 2023 को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के अवसर पर ‘हिन्दी भाषा, चुनौतियां एवं संभावनाएं’ विषय पर वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया l कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन द्वारा हुआ l
मुख्य वक्ता दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के हिन्दी एवं आधुनिक भाषा तथा पत्रकारिता विभाग के अवकाश प्राप्त आचार्य प्रो. गणेश प्रसाद पाण्डेय मंच को सम्बोधित करते हुए कहा कि 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को संविधान में आधिकारिक राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ l हिन्दी ने आजादी की लड़ाई में, सभी देशवासियों को एकता के सूत्र में बाँधा तथा जन-जन के संघर्ष को आवाज दी l अब समय आ गया हैं कि हिन्दी भाषा को अंतराष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलाया जाये l इसके लिए हमें हिन्दी को आधुनिक ज्ञान विज्ञान में परिवर्तित करना होगा l उदारीकरण ने हिन्दी भाषा की पहुँच वैश्विक स्तर पर ला दिया हैं l आज धीरे-धीरे हिन्दी बाजार एवं व्यापर की भाषा बन रही हैं, इससे रोजगार एवं व्यवसाय के नए आयाम खुलेंगे l नए युवकों को हिन्दी भाषा का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जा सकता हैं साथ ही इसे विज्ञान की भाषा भी बनाया जा सकता हैं l कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. राम पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी को राजभाषा घोषित हुए 74 वर्ष हो गए हैं, आज हिन्दी भाषा जनसम्पर्क की भाषा बन चुकी हैं किन्तु राजनैतिक कारणों से हिन्दी भाषा राष्ट्रभाषा नहीं बन पाया l दुनिया का कोई भी देश यदि विकसित हुआ है तो अपनी भाषा का प्रयोग करके ही वह आगे बढ़ा है। परंतु आज भी हमारे देश में हिंदी को राजभाषा दर्जा प्राप्त है। संपर्क भाषा बन चुकी है । सबसे ज्यादा प्रयोग करने वाली भाषा है । बावजूद इसके उसे राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है। हम आज की दूसरी भाषाओं में विकास ढूँढते हैं। परंतु जरूरत इस बात की है अब हिंदी का प्रयोग अधिक से अधिक किया जाए। क्योंकि हिंदी दुनिया के 150 से अधिक देशों में बोली, समझी, पढी और लिखी जा रही है। यह हमारे लिए गौरव की बात है। यदि भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनाना हैं तो उसे हिन्दी को कार्य पद्धति, शिक्षा, ज्ञान, कौशल, व्यापर, मीडिया एवं बाजार की भाषा बनाना होगा l कार्यक्रम का संचालन डॉ. सौरभ सिंह परिहार तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रीति यादव ने किया l इस अवसर पर प्रो.किरन सिंह, डॉ.अनिल उपाध्याय, डॉ. बी.के. मालवीय, डॉ. अनिल मिश्र, डॉ. तृप्ति त्रिपाठी, श्री बृजेश वर्मा, डॉ. बाल गोविन्द मौर्य, डॉ. चंद्र प्रकाश, डॉ. जितेंद्र प्रसाद, श्री उमेश तिवारी इत्यादि लोग उपस्थित रहे l
महाराजगंज– उत्तर प्रदेश।

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