सुगौली संधि की गायब प्रतियों में छिपे हैं भारत-नेपाल रिश्तों के कई राज

सुगौली संधि की गायब प्रतियों में छिपे हैं भारत-नेपाल रिश्तों के कई राज

सुगौली संधि की गायब प्रतियों में छिपे हैं भारत-नेपाल रिश्तों के कई राज
– मधेशी आंदोलन ने उकेरी सुगौली संधि की बाते

आईएन न्यूज, नेपाल से धर्मेंद्र चौधरी की विशेष रिपोर्ट:

राजतंत्र से गणतंत्र बना नेपाल अपने इतिहास में बहुत कुछ संजोये रखा है। 4 मार्च, वर्ष 1816 में अनुमोदित हुई “सुगौली-संधि” ऐसी ही एक ऐतिहासिक विरासत है, जो आज के भारत-नेपाल रिश्ते की नींव मानी जाती है। ब्रिटिश कालिक भारत और नेपाल के राजतंत्र के बीच हुई इस संधि को आज भी गणतंत्र बने भारत तथा नेपाल अनुपालित कर रहे हैं। मगर भारत-नेपाल रिश्ते में हाल ही में आये उतार-चढ़ाव और नेपाल में मधेशी आंदोलन की उत्पत्ति ने जानकारों और वैश्विक विदेश नीति विशेषज्ञों का ध्यान फिर सुगौली-संधि की तरफ आकृष्ट करने दिया है।
मगर संधि की कुछ गायब प्रतियों ने अपने भीतर कुछ ऐसे राज दफन कर लिये हैं, जो एक न एक दिन वैश्विक पटल पर पंचायत का मुद्दा बन सकती है।
भारत-नेपाल की सुगौली संधि पर सरसरी नजर डालें तो–

1- वर्ष 1814 में ब्रिटिश सेना और नेपाली राजा से युद्ध के बाद सुगौली संधि की जरुरत पड़ी।
2- दो दिसंबर वर्ष 1815 में संधि बनी और चार मार्च 1816 में अनुमोदित हुई।
3- संधि पर नेपाल की तरफ से तात्कालिक राजगुरु गजराज मिश्र और सहायक चंद्रशेखर उपाध्यक्ष ने हस्ताक्षर किये, जबकि इस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से लेफ्टिनेन्ट कर्नल पेरिस ब्रेडशा ने दस्तखत किये।
4- संधि में नेपाल के कुछ हिस्से भारत में शामिल करने के एवज में नेपाल के गोरखा समुदाय को भारतीय सेना में शामिल करने की सहमति बनी। हालांकि इस संधि के बाद नेपाल ने अपने देश की किसी भी सेवा में अमेरिकी या किसी भी युरोपीय को कर्मचारी नियुक्त करने का अधिकार खो दिया।
5- इस संधि में नेपाल नेपाल अपने भू भाग का लगभग एक तिहाई भाग खो दिया था। जिसमें कुमाऊं, गढ़वाल, सिक्किम तथा दक्षिण के तराई क्षेत्र रहे।
6- वर्ष 1816 के अंत तक तराई के कुछ हिस्से नेपाल को लौटा दिये गये।
7- वर्ष 1860 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज बुलंद न करने के एवज में कंपनी ने फिर नेपाल का कुछ हिस्सा उसे वापस लौटा दिया।

सुगौली संधि के तहत बार हुये समझौते के कारण भारत- नेपाल के 54 स्थानों पर अब भी सीमा विवाद है। जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा, सुस्ता, मेची क्षेत्र, टनकपुर, संदकपुर, पशुपतिनगर तथा हिलथोरी नामक स्थान प्रमुख हैं।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिस क्षेत्र में आज मधेशी आंदोलन बनाम नेपाली संविधान का द्वंद चल रहा है, वह वही क्षेत्र है। जो सुगौली संधि में नेपाल को लौटाया गया था।
उससे भी अहम बात यह रही कि इस संधि की वह प्रतियां गायब हैं, जिसमें इस संधि के समाप्त होने की शर्त या फिर समयावधि का जिक्र है।
इससे यह प्रतीत होता है कि सुगौली संधि की गायब प्रतियों में कई गहरे राज दफन है।

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