गोरखपुर दंगा: बढ़ेंगी आदित्यनाथ की मुश्किलें
गोरखपुर दंगा: बढ़ेंगी आदित्यनाथ की मुश्किलें
————————विजय सिंह की रिपोर्ट———
आई एन न्यूज ब्यूरो, गोरखपुर।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आज उन्हें साल 2007 में गोरखपुर में हुए सांप्रदायिक दंगे के आरोप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेश होना है।
हाईकोर्ट ने आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में हिंसा फैलाने के आरोपों की जांच के लिए 153 ए के तहत सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार से 3 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।
योगी के खिलाफ जो याचिका दायर है उसमें सरकार से पूछा गया है कि योगी और अन्य आरोपियों के खिलाफ सीबीसीआईडी जांच के लिए 153 ए के तहत सरकार ने अब तक जांच की अनुमति क्यों नहीं दी।
क्या है मामला
2007, 27 जनवरी की रात गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर विधायक राधामोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की मेयर अंजू चौधरी की मौजूदगी में कथित तौर पर हिंसा फैलाने वाला भाषण दिया था। मुख्यमंत्री योगी पर आरोप है कि उन्होंने उस दिन अपने भाषण में हिंदुओं को उकसाते हुए बयान दिया था। उन्होंने कहा था, मुहर्रम में ताजिया नहीं उठने देंगे और खून की होली खेलेंगे। इस भाषण के बाद भीड़ कटुए काटे जाएंगे, राम राम चिल्लाएंगे, के नारों के साथ मुसलमानों की दुकानें फूंकी गईं थी, लेकिन किसी के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज तक नहीं हुई है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को समन जारी करते हुए गोरखपुर दंगों से जुड़े सभी दस्तावेज लाने के निर्देश दिए थे। इन दंगों में तत्कालीन स्थानीय सांसद और मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आरोपी ठहराया गया है। राज्य सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत योगी सहित उन सभी लोगों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी जिन्हें उस एफआईआर में नामजद किया गया था। ऐसे लोगों में गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजु चौधरी और स्थानीय भाजपा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल शामिल थे