महाव नाले की जलधारा में बहेंगे लाखों रुपये?
महाव नाले की जलधारा में बहेंगे लाखों रुपये?
– पिछले पांच वर्षों में करोड़ो डकार गये जिम्मेदार
आईएन न्यूज, नौतनवा से धर्मेन्द्र चौधरी की रिपोर्ट:
महराजगंज जिला के सरकारी तंत्र के भ्रष्ट अफसर मारे ख़ुशी के लबरेज हो रहे हैं। उनकी गहरी और ऊपरी गाढ़ी कमाई का वार्षिक और पुरावृत्ति होने वाला एक मौका फिर आ गया है। यह मौका है, नौतनवा ब्लाक क्षेत्र में स्थित पहाड़ी नाला “महाव”। जो साल दर साल, हर बरसात कई गांवों के लिये आफत बन कर टूटता है। सैकड़ों हेक्टेयर उपजाऊ भूमि पर रेत की चादर चढ़ा, उन्हें बंजर बना दे रहा है।
वर्ष 2010 से ही मनरेगा, सिंचाई विभाग तथा आपदा राहत के कोष से महाव के बाढ़ रुपी कहर को कम करने के प्रशासनिक दावे। हर वर्ष महाव की तेज जलधारा में बह जाते हैं। या यूं कहे कि, हर वर्ष महाव की जलधारा में लाखों रुपये बह जाते हैं। मगर नतीजे “ढ़ाक के तीन पात” की ही तरह हैं।
बरसात का मौसम आने में अब करीब एक माह का समय बाकी है। प्रशासनिक अमला सोया है, या फिर यूं कहे कि जान बूझ कर आंखे मूदे आगे की परिकल्पना से प्रफुल्लित हो रहा है।
महाव के तटबंध टूटेंगे। सैकड़ो एकड़ खेत जलमग्न होंगे। गांवों में बाढ़ का पानी घुसेगा। किसान चीखेंगे। अधिकारी मौके पर निरीक्षण के लिये पहुंचेंगे। तटबंधों की बरसात में ही मरम्मत होगी। टूटे तटबंध स्थलों पर मिट्टी भरे प्लास्टिक के बोरों व बांस का मरहम लगाया जायेगा। फिर दो चार दिन में बारिश व तेज जलधारा से एक अन्य तटबंध व टूटे तटबंध का बांस व बोरा रुपी मरहम भी बह जायेगा। अर्थात लाखों खर्च के दावे के बाद भी स्थितियां फिर पुराने ढ़र्रे पर ही वापस आ जायेंगी।
पिछले पांच साल से दोगहरा, विशुनपुरवा, बरगदवा, खैरहवा दूबे तथा उसके आसपास के अन्य गांव उक्त लिखित नजारा ही देख रहे हैं। फिर कुछ ऐसा ही मंजर आने को तैयार है। महाव के तटबंधों में कई स्थानों पर चूहे के बसेरों ने फिर उसे जर्जर कर दिया है। हाल फिलहाल हो रही हल्की बारिश ने भी तटबंधों के “रैन कट्स” को और ऊभार दिया है। मगर प्रशासनिक अमले ने महाव नाला के तटबंधों की मरम्मत के लिये कोई अग्रिम कदम नहीं ऊठाया है। हर बार की तरह। फिर तैयार रहें,,,,महाव की तबाही देखने को,,,,और लाखों रुपये महाव नाला की जलधारा में समाते देखने को।