कश्मीर को भी मात दे रहा सोनौली सीमा का “आतंकी ट्रैप”

कश्मीर को भी मात दे रहा सोनौली सीमा का "आतंकी ट्रैप"

कश्मीर को भी मात दे रहा सोनौली सीमा का "आतंकी ट्रैप"

कश्मीर को भी मात दे रहा सोनौली सीमा का “आतंकी ट्रैप”

– खुली सीमा के बाद भी मिलती है बड़ी कामयाबी
-आतंकी “लियाकत अली” के बाद “नसीर अहमद” के क्लाइमेक्स पर लोगों की निगाह

आईएन न्यूज, नौतनवा से धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्टः

एक तरफ जहां कश्मीर की घाटी व एलओसी सीमा पर गोलियों व बम की बौछार के बीच जिंदा आतंकवादियों को पकड़ पाना एक परिकल्पना मात्र हो गयी हैं। वहीं दूसरी तरफ मित्र राष्ट्र नेपाल की खुली सरहद पर “सोनौली सीमा” पर आसानी से आतंकवादियों के पकड़ लिये जाने की ख़बरे एक मिसाल साबित हो सकती हैं। मतलब कि सोनौली सीमा पर आतंकियों को पकड़ने का “ट्रैप” भले ही गोपनीय हो। मगर प्रथम दृष्टया तो एसएसबी व अन्य खुफीया विभागों के कदम पीठ थपथपाने योग्य हैं।
भले ही मौके पर तैनात अधिकारी यह कह अपना बयान नहीं देते कि मामला “देश की सुरक्षा” व “गोपनीयता” से जुड़ा है। मगर अपने हक विभागीय लोगों से यहां के लोकल मीडिया को धर पकड़ की शुरुआती जानकारी दे दी जाती है। शायद अपनी ही शाबाशी खुद कराने के लिये।
सोनौली सीमा पर पकड़े गये संदिग्ध आतंकवादी व पाकिस्तानी नसीर अहमद के मामला उस प्रकरण को याद करा दे रहा है, जब कुछ वर्ष पहले ठीक इसी तरह आतंकी “लियाकत अली” भी पकड़ा गया था। शुरुआती शाबाशी मिली। एसटीएफ व एटीएस समेत कई अन्य खुफीया विभागों ने पूछताछ का दावा किया।लखनऊ व कई अन्य स्थानों फर एके 47 समेत कई अन्य हथियार बरामद हुये। मगर अचानक मामला उलट हो गया। “लियाकत अली” को छोड़ दिया गया, एटीएस व कई अन्य जांच अधिकारियों को फटकार मिली। कईयों को तो फर्जी आतंकवादी प्लाटय करने के आरोप में जेल जाना पड़ा। क्योंकि मामला केंद्र सरकार की “पुनर्वास-योजना” से जुड़ा था।
अब मामला “नसीर अहमद” का है। शुरुआती दौर में यही बताया जा रहा है कि नसीर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का सदस्य है। इस संगठन पर यह भी आरोप है कि यह कश्मीर के अलगाववादियों को उकसाता है और उनकी मदद करता है। इसी संगठन के “बुरहानमानी” के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी के हालात और बिगड़ गये। अलगाववादी पत्थरबाज बन गये। कश्मीर के हालात अब भी काफी अशांत है। ऐसे में हिजबुलमुजाहिद्दीन के सदस्य का सोनौली सीमा पर आकर आसानी से पकड़े जाना, कुछ लियाकत अली जैसा ही ट्विस्ट टाइप का प्रतीत हो रहा है।
गूगल सर्च इंजन पर हिजबुलमुजाहिद्दीन के साथ नसीर अहमद के कनेक्शन पर सर्च करने पर कई ऐसी चीजें पड़ी हैं। जो कि नसीर अहमद मामले को और भी गंभीर तथा पेचीदा बना रही हैं।
जैसे की दो वर्ष पूर्व नसीर अहमद नामक एक व्यक्ति जम्मू-कश्मीर के पुलिस कांस्टेबल से हिजबुलमुजासिद्दीन का सदस्य हो गया। अब इस बात ने कई पेचीदा सवाल खड़े कर दिये हैं। जैसे कि –
1- क्या पकड़ा गया नसीर अहमद वही पुलिसवाला है?
2- क्या भारत में उसके प्रवेश का कारण आतंकी संगठन के लिये “रेकी” करना था?
3- अगर वह वास्तव में आतंकवादी है तो उसके हथियार कहां हैं?
4- क्या फिर ऐसा कुछ होगा कि “लियाकत अली” प्रकरण याद आ जाय।

फिलहाल सुरक्षा एजेंसिया जांच व पूछताछ में जुटी है। उनके अधिकृत बयान आने के बाद ही उठे सवालों के जवाब मिलेंगे। हाल फिलहाल इस ख़बर पर प्रेस व मीडिया ने अपनी टीआरपी के चक्कर में अपने “सूत्रों” इस कदर एक्टिव कर दिया है। जैसे कि सूत्र “एनआइए” से भी अधिक जानकारी रखने वाले हों।

नोट***इंडोनेपालन्यूज पोर्टल गंभीर मुद्दों पर सूत्रों के भरोसे नहीं रहता। और सच्ची बात व तत्थ्यात्मक चीजों को रखता है।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Translate »
  1. ब्रेकिंग न्यूज़: ऊ०प्र०- जिले की हर छोटी बड़ी खबर लाइव देखने के लिए
  2. जुड़े रहे इंडोनेपालन्यूज़ के फेसबुक पेज से, शहर के हर छोटी बड़ी खबर हम आपको लाइव दिखाएंगे