सोनौली के आंतकवादियों में क्यों नही “एनआईए” को रुचि – मुकदमा दर्ज “अपनी लाठी-अपनी भैंस” तो नहीं

सोनौली के आंतकवादियों में क्यों नही "एनआईए" को रुचि - मुकदमा दर्ज "अपनी लाठी-अपनी भैंस" तो नहीं

सोनौली के आंतकवादियों में क्यों नही “एनआईए” को रुचि
– मुकदमा दर्ज “अपनी लाठी-अपनी भैंस” तो नहीं

सोनौली में चर्चित आतंकवादी प्रकरण पर धर्मेन्द्र चौधरी की विश्लेषात्मक रिपोर्टः

सोनौली सीमा पर पकड़े गये तथा कथिक आतंकी नासिर अहमद के मामले में अब तक जो हुआ, उसमें बहुत कुछ नया- नया और सवालों से भरा है। सबसे अहम सवाल यह उठ रहा है कि पांच आतंकवादियों की जांच जैसा गंभीर मुद्दा, देश की प्राथमिक जांच ऐजेंसी “पुलिस” के पास है। “एनआईए” क्यों इस मामले में कोई रुचि नहीं ले रहा है? यह भी काफी कुछ बयां कर रहा है।
एसएसबी ने शुरुआती दौर में काफी जोर शोर से आतंकवादी पकड़ लिये जाने के दावे कर अपने टाईप की जांच में उलझी रही। तमाम सिर ख़पाने के बाद मामला मात्र सोनौली पुलिस तक आ कर सिमट जाना, यह प्रदर्शित कर रहा है कि मामले में कागजी लिखापढ़ी का कोरम पूरा करने के लिये विभागों ने काफी मनन और माछापच्ची किया है। गिरफ्त में आया मुख्य आरोपी व तथाकथित आतंकवादी नासिर अहमद हाल फिलहाल यूपी एटीएस के पास रिमांड पर है।
मगर 14 मई को सोनौली के पुलिस की जीडी में चार अन्य तथाकथित आतंकवादियों का नाम लिखे जाना, जिनका कोई सुराग नहीं है। कुछ अजीब व नया है। इस मामले ने महराजगंज के जिलाकारागार को भी ऐतिहासिक बना दिया कि ” यह जेल अपने पहले आतंकवादी से रूबरू हो गया”,यह भी एक नई बात रही।

सोनौली पुलिस में जिन लोगों के ख़िलाफ राष्ट्र द्रोह व आतंकी साजिश रचने का मुकदमा दर्ज किया गया है। उनके नाम व पते ये जिक्र हैं—–

1-नासिर अहमद वानी पुत्र गुलाम कादिर वानी,
निवासी डोलीग्राम थाना मनिहाल जिला रामबन ,जम्मू कश्मीर
पासपोर्ट के आधार पर जिला गुजरात पाकिस्तान
2- सलीम पुत्र अज्ञात
निवासी पम्पोर जिला कुलगामा पाकिस्तान
3- मुहम्मद शफी पुत्र दिलावर
निवासी भटपुरा जिला कुपवाड़ा जम्मू कश्मीर
4- सैयद सलाउद्दीन निवासी चीफ आफ यूनाइटेड जेहाद कॉउन्सिल कुपवाड़ा जम्मू कश्मीर
5- राशिद पुत्र अज्ञात
निवासी कुपवाड़ा जम्मू कश्मीर

—सभी के ख़िलाफ जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज है, वह हैं–
18/20 विधि विरुध क्रिया कलाप अधिनियम, 120B, 121, 121A भादवि

अगर आरोपियों के पते पर और उनके द्वारा दिये गये प्राथमिक बयान को मनन करें, तो काफी कुछ उस तरह का है। जो कांग्रेस सरकार के दौरान “जम्मु-कश्मीर पुनर्वास योजना” के तहत सोनौली सीमा पर आये कश्मीरियों की कहानी होती थी। जिसकी शुरुआत लियाकत अली से हुई। वह हिज़बुल्लमुजाहिद्दी का सरगना था। उस पर भी मुकदमा हुआ, एटीएस ले गयी, उसकी निशांदेही पर हथियार भी बरामद होने के दावे हुये, अख़बार और मीड़िया वालों ने भी खूब चटख़दार ख़बरे उड़ाई। मगर एनआईए, जम्मू कश्मीर की तात्कालिक सरकार तथा केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद मामला उलट ही निकला। लियाकत अली को “पुनर्वास वाला” बता कर बाइज्ज़त कश्मीर पहुंचा दिया गया। और मामले में अपनी पीठ थपाथपा रहे एसएसएबी,पुलिस तथा एटीएस को कड़ी चेतावनी व फटकार मिली।
फिर नेपाल सीमा पर एक नया सिलसिला शुरु हो गया। एसएसबी ऐसे ही आतंकी ट्रेनिंग लिये कश्मीरियों को बाइज्जत, अभिरक्षा में लेकर दिल्ली ले जाती रही। कांग्रेस सरकार के बाद आयी भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर की पुनर्वास योजना को रोक दिया। नेपाल से आ रहे पुनर्वासियों को भारतीय सीमा में प्रवेश करने से रोक लगा दी गयी। सैकड़ों पुनर्वासियों के नेपाल में फंस जाने की ख़बरे आयी।
अब नासिर अहमद और लियाकत अली प्रकरण को जोड़ते हुये “पुनर्वास योजना कालिक” चीजों का मिलान करे तो तस्वीर कुछ और ही बन रही है।
फिलहाल आज के अहम सवाल तो यह हैं कि चारो फ़रार आत॔की कहां हैं। दूसरा अहम सवाल जो प्रकरण की पूरी तस्वीर साफ कर सकता है वह है “लियाकत अली”। उस समय दिल्ली के बाद कश्मीर भेजा गया लियाकत अली कहां है?
इधर,,, सबसे बड़ी ख़बर तो यह है कि चार खुंखार आतंकवादियों की जांच व खोज करने का जिम्मा सोनौली जैसी कर्मठ और तेज तर्रार पुलिस के पास है। जो कि शुक्रवार को कतार लगी वाहनों के कटिंग के बीच “आतंकी” तलाश रही है।,,,आगे आगे देखिये होता है क्या है????

संपूर्ण लेख़ लेखक के निजी विचार हैं।

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