मधेश क्षेत्र का चेहरा बनने की मची होड़

मधेश क्षेत्र का चेहरा बनने की मची होड़

मधेश क्षेत्र का चेहरा बनने की मची होड़
– निकाय चुनाव विरोध की आड़ में गरमाई सियासत

आईएन न्यूज, नेपाल के मर्चवार क्षेत्र से धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्टः

नेपाल की तराई में इन दिनों सियासत का एक अलग दौर सा शुरु हो गया है। सभी का ध्यान मधेशी बाहुल्य क्षेत्रों का अगुवा बनने की तरफ झुक़ने सा लगा है। कोई निकाय चुनाव का विरोध कर सियासी चेहरा बनने को आतुर है, तो कोई नेपाली संविधान के स्वरुप का विरोध कर मधेश क्षेत्र का नेता बनने के ख़्वाब सजाये बैठा है।
मधेश क्षेत्र के सियासत व आंदोलन की सबसे मज़ेदार व विचार करने लायक बात यह है कि, रह रह कर होने वाले हर मधेश आंदोलन के बाद एक नया चेहरा सामने आ जाता है।
अब तक हुये मधेश आंदोलन के तीन प्रमुख़ मुद्दे रहे। पहला मुद्दा संविधान में मधेशियों को दोयम दर्जे की नागरिकता व अधिकार को लेकर रहा। यह आंदोलन व्यापक रहा। वैश्विक स्तर गूंज उठी। जिसमें नेपाल ने भारत पर आर्थिक नाकाबंदी का आरोप भी लगा दिया। इतना कुछ होने के बाद भी मधेशियों की इतनी ही सुनवाई हुई जैसे “दाल में नमक”।
इसके बाद नासा के वैज्ञानिक सीके राउत महोदय व उनके एक संगठन का प्रवेश हुआ। मांग भी बड़ी जबर्दस्त थी, कि मधेश क्षेत्र को नेपाल से अलग कर एक नया राष्ट्र बना दिया जाय। सीके राउत साहब की यह मांग किससे थी? यह समझ से परे है। मगर उनके इस “नये राष्ट्र” की मांग ने फिर एक आंदोलन का आग़ाज किया। आंदोलन का अंदाज पुराने रटे रटाये तरीके जैसे कि- बंद आह्वान, वाहनों व मार्ग पर आगजनी, नेपाली प्रशासन से भिडंत, फायरिंग, लाठी चार्ज ,,,,वगैरह वगैरह के इर्द-गिर्द प्रसारित हुआ। मगर सीके राउत एंड कंपनी मधेश क्षेत्र की आंदोलनकारी भीड़ नहीं जुटा पायी। ख़ामियाजा भी राष्ट्र द्रोह का मुक़दमा और जेल की हवा ख़ाने के रुप में मिला।
अब तीसरी मधेश हलचल निकाय चुनाव के विरोध के रुप में है। दस-बीस लोग लाठी-डंडा लेकर निकल रहे हैं। “विरोध-विरोध” का नारा लगाते हुये उनका ध्यान इस तरफ़ अधिक रहता है कि उनके ही निर्देशन में उनकी फोटोग्राफ़ी ठीक-ठाक और “एग्रेशिव दिखने वाली” हो जाए। और वह फ़ोटो फेसबुक या ह्वाट्सप से होते हुये किसी भारतीय क्षेत्र के समाचार पत्र के प्रतिनिधि तक पहुंच जाये। इस “स्टंट” वाली ख़बर अगर कहीं छप गयी, तो बल्ले-बल्ले हो गयी। वह मधेशी नेताओं के एक चेहरे के रूप में “हल्ला” हो गये। भले ही बाद में नेपाल के उसी चुनाव में शामिल हो जाय, जिसका विरोध कर वे मधेश क्षेत्र की “मूक सी रहने वाली” जनता में चर्चा का विषय बने। यानि कि सब ख़ेल सियासत का है।
मधेश के सभी गांवों में राजनीति बिल्कुल वैसी ही ड़गर पर है, जैसा कि भारत के गांवों व कस्बों में है।
ठीक ही तो है, रोटी-बेटी का रिश्ता भारत से है तो “राजनैतिक रंग” चीन जैसा क्यों हो।
नेपाल की राजनीति में मधेशियों की कितनी दमदारी होगी, यह तो भविष्य तय करेगा। फ़िलहाल लाठी-डंडा लेकर निकाय चुनाव का विरोध कर रहे मधेशी नेताओं की अगली हरकत निगेबानी करने लायक है। हो सकता है मधेश क्षेत्र का मज़बूत चेहरा सामने आ जाय।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Translate »
  1. ब्रेकिंग न्यूज़: ऊ०प्र०- जिले की हर छोटी बड़ी खबर लाइव देखने के लिए
  2. जुड़े रहे इंडोनेपालन्यूज़ के फेसबुक पेज से, शहर के हर छोटी बड़ी खबर हम आपको लाइव दिखाएंगे