सुप्रीम कोर्ट ने 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी
आई एन न्यूज ब्यूरो, दिल्ली।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक दुर्लभ मामले में सोमवार को एक महिला को 26 सप्ताह का गर्भ गिराने की इजाजत दी दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह इजाजत 7 डॉक्टरों के एक पैनल की रिपोर्ट के बाद दी है। इस रिपोर्ट में डॉक्टरों ने कहा है कि गर्भपात नहीं करने पर महिला की मानसिक स्थिति पर प्रभाव पडऩे की बात कही है। महिला ने गर्भ में पल रहे भू्रण के दिल की गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बाद कोर्ट में याचिका दाखिल कर गर्भपात की इजाजत मांगी थी।
महिला ने एमटीपी एक्ट 1971 को दी थी चुनौती
पश्चिम बंगाल के कोलकाता निवासी एक महिला को 25 मई को पता चला कि उसके गर्भ में पल रहा भू्रण दिल संबंधी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। तब गर्भ 20 सप्ताह का हो चुका था। इस पर महिला ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर एमटीपी एक्ट 1971 को चुनौती देते हुए गर्भपात की इजाजत मांगी थी। इस एक्ट के तहत 20 सप्ताह से ज्यादा वक्त होने पर गर्भपात कराना कानून अवैध है।
7 डॉक्टरों के पैनल की जांच रिपोर्ट पर दी इजाजत
याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिला की जांच के लिए 7 डॉक्टरों का एक पैनल गठित किया। डॉक्टरों की रिपोर्ट में कहा गया कि यदि गर्भावस्था को जारी रखा जाता है। मां को गंभीर मानसिक आघात होने की संभावना है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि जन्म लेने के बाद बच्चे की दिल संबंधी बीमारियों के लिए कई सर्जरी करनी पड़ेंगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने गर्भपात की इजाजत दी।

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