चोटीकटवा के रहस्य को उजागर करती यह रिपोर्ट
चोटीकटवा के रहस्य को उजागर करती यह रिपोर्ट
आई एन न्यूज नौतनवा :
चोटी कटने या बाल कटने के वाकये उत्तर प्रदेश समेत नेपाल के मैदानी भाग के सैकड़ों गांवों में भय और कौतूहल का कारण बना है।
घटनाएं भी हो रहीं हैं। मगर चोटी या बाल कट कैसे जा रहे हैं, कौन काट रहा है? यह सिर्फ चर्चा और अफवाहों के तक सिमट कर रह गया है।
ऐसी घटनाओं व अफवाहों पर प्रशासन या जनप्रतिनिधि भी ठीक उसी तरह चुप्पी साध तमाशबीन बने हैं। जैसे कि यह कोई आस्था की बयार या मेला चल रहा है।
एक महिला या बालिका अचानक देखती है कि उसकी उसके बाल कटे हैं,,फैली चोटीकटवा विचार में कौंधती है,,चीख पुकार बदहवासी का आलम हो जाता है। तमाश बीन भी ऐसे ऐसे तथ्य रखते हैं, कि अगर साइंस का अच्छ़ा विद्यार्थी उनकी बातों सही मानने लगे तो वह अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे पढ़े जाने वाले वैग्यानिक को धता समझने लगे।
पिछले दो दिनों में नौतनवा, परसामलिक, हरदी डाली समेत नेपाल के मर्यादपुर व नौडियहवा गांव में चोटी। आईएनन्यूज की टीम ने सभी स्थानों पर पड़ताल की। सभी स्थानों पर हालात व माहौल वैसे ही रहे। जैसा की ऊपर वर्णित किया गया है। अफरा-तफरी व अंध विश्वास व गैर तत्थीय बातें हावी हैं।
एक तरह यह भी कहा जा सकता है कि समाज में यह मनोविकार की जांच व ग्रसित करने का एक अभियान है।
इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि सोखा-ओझा व आस्था के नाम पर आडंबरियों का बाजार ठीक ठाक बन गया है। और उसे हवा देने वालों की तमात भी खूब है।
यहां प्रशासन और समाजसेवा का दावा करने वाले तमाम संगठनों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्योंकि किसी भी मामले में न ही कोई सघन जांच हुई और न ही तेजी से फैल रही भ्रामक अफवाहों से दूर रहने के कोई जागरुकता अभियान चलाये गये।
क्या यह कोई गहरी साजिश है या फिर एक संगठित रैकेट है। जो बार बार एक अफवाह के रुप में अंधविश्वास को आज भी समाज में बनाये हुये है।
सावधान रहें,,वैग्यानिक दृष्टिकोण बनायें,,,कोई चोटीकटवा नहीं है,,,