अब झारखंड में गोरखपुर जैसे हालात, 30 दिनों में 52 नवजात की मौत
अब झारखंड में गोरखपुर जैसे हालात, 30 दिनों में 52 नवजात की मौत
— रांची के अस्पतालों में 117 दिनों में करीब 164 बच्चों की हो चुकी है मौत
(विजय कुमार की रिपोर्ट)
आई एन न्यूज ब्यूरो, झारखंण्ड:
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बी आर डी अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई के कारण हुई 30 से अधिक बच्चों की मौत के बाद अब झारखंड में भी ऐसे हालात बन गए हैं। लापरवाही के कारण झारखंड के एक सरकारी अस्पताल में तीस दिनों में 62 नवजात दम तोड़ चुके हैं।
यह मामला जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल सरकारी अस्पताल का है। यहां पर 30 दिनों में 52 नवजात बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। एएनआई के मुताबिक ये सभी नवजात बच्चे हैं। कुछ दिनों पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार रांची के अस्पतालों में 117 दिनों में करीब 164 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि इन मौतों का कारण एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। अस्पताल के सुप्रींटेंडेंट का कहना है कि इन मौत के पीछे का कारण कुपोषण है।
मालूम हो कि पिछली 10-11 अगस्त की रात को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में संदिग्ध हालात में कम से कम 36 बच्चों की मौत हो गयी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति ने गत 20 अगस्त को सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन प्रभारी, एनेस्थिसिया बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सतीश तथा एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम बोर्ड के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान तथा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी।
इसके अलावा समिति ने डॉक्टर राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के लेखा विभाग के कर्मचारियों तथा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत कार्रवाई की संस्तुति की है। समिति ने गैर-जिम्मेदाराना आचरण, कर्तव्यहीनता और कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रतिकूल रवैया अपनाने के लिए डॉक्टर राजीव मिश्रा, डॉक्टर सतीश, डॉक्टर कफील खान, गजानन जायसवाल एवं सहायक लेखाकार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी की है।
इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में औषधि तथा रसायनों की आपूर्ति की पिछले तीन वर्षों की कैग से विशेष आॅडिट कराने, डॉक्टर कफील खान द्वारा गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष तथ्यों को छुपा कर शपथ पत्र दाखिल करने और इंडियन मेडिकल काउंसिल के नियमों के विपरीत काम करने के लिए आपराधिक कार्रवाई किए जाने की सिफारिश भी की गई है।