बीआरडी मेडिकल काॅलेज के निलंबित प्राचार्य डाॅ.राजीव व पत्नी पूर्णिमा को अदालत में किया गया पेश
बीआरडी मेडिकल काॅलेज के निलंबित प्राचार्य डाॅ.राजीव व पत्नी पूर्णिमा को अदालत में किया गया पेश
आई एन न्यूज ब्यूरो गोरखपुर :: बीआरडी मेडिकल काॅलेज के निलंबित प्राचार्य डाॅ. राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डाॅ. पूर्णिमा शुक्ला को गुरूवार को अदालत में पेश किया गया है। बता दें कि निलंबित प्राचार्य व उनकी पत्नी को बुधवार को पुलिस हिरासत में गोरखपुर लाया गया था। इनको मंगलवार को एसटीएफ ने कानपुर में गिरफ्तार किया था। डाॅक्टर दंपत्ति पर मेडिकल कॉलेज के बीते दिनों हुई ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज है। दोनों पिछले कई दिनों से भूमिगत थे। गोरखपुर के सरकारी आवास पर तो घटना के अगले दिन से ही ये नहीं रह रहे थे। एसटीएफ गिरफ्तार डॉक्टर दंपत्ति को बुधवार को गोरखपुर लेकर पहुंची। यहां इनसे पूछताछ होगी और बयान दर्ज किया जाएगा। डॉ. राजीव मिश्र को गुलरिहा थाना में रखा गया जबकि इनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को महिला थाने में रखा गया। पुलिस ने गुरुवार को दोनों को कोर्ट में पेश किया है। उधर, अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ व स्थानीय पुलिस लगातार छापेमारी कर रही।
लखनऊ में दर्ज हुआ था केस, फिर गोरखपुर हुआ ट्रांसफर
बता दें कि 23 अगस्त को 9 आरोपियों के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसके बाद इस केस को गोरखपुर के गुलरिहा थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था। सीओ कैंट को इस मामले में विवेचना अधिकारी बनाया गया है।
इन धाराओं में केस है दर्ज
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 308, 120 बी, 420, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 8, इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के सेक्शन 15, आईटी एक्ट 2000 के सेक्शन 66 के तहत केस दर्ज है।
इन लोगों के खिलाफ हुआ है एफआईआर
आरोपी 1ः लिक्विड ऑक्सीजन आपूर्तीकर्ता पुष्पा सेल्स का मनीष भंडारी
पुष्पा सेल्स में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी। ऑक्सीजन जीवनरक्षक है। इसकी आपूर्ती बंद करना गुनाह है। इसके लिए आपूर्तीकर्ता मनीष भंडारी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।
आरोपी 2,3,4ः लेखा विभाग के तीन कर्मचारी
लेखा विभाग भी मौत के मंजर की पटकथा लिखने में अहम सहयोग का गुनाहगार है। जिस कमीशन की बात हो रही उसकी नींव यहीं है। हालांकि, भेजी गई रपट के अनुसार इन पर आरोप है कि जब शासन से बजट आया तो प्राचार्य को बताने में लेटलतीफी की गई। उनके पास पत्रावली देर से पेश की गई। इन आरोपों में कार्यालय सहायक उदय प्रताप शर्मा, लिपिक संजय कुमार त्रिपाठी व सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय की लिप्तता पाई गई। इस लिए इनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
आरोपी 5ः निलंबित प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा
रपट के अनुसार बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र का अपने ही स्टाफ व सहयोगी डॉक्टर्स पर कोई प्रभाव नहीं। इनके आदेशों की अनदेखी तक करते रहे। प्राचार्य को सब पता होने के बाद भी ऑक्सीजन सप्लाई सुचारू रहे इसके लिए कोई पहल नहीं की गई। यहां तक कि आपूर्ति बंद होने की चेतावनी सम्बंधित सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी। हद तो यह कि मेडिकल कॉलेज में इतने बड़े संकट की आशंका को जानने के बाद भी नौ अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथके दौरे के तत्काल बाद छुट्टी पर चले गए। उनपर खुद मुख्यमंत्री भी आरोप लगा चुके हैं कि वह दो दिन पहले चार घंटे तक मेडिकल कॉलेज में रहे लेकिन एक बार भी इस संभावित संकट पर चर्चा नहीं की। इसलिए इनपर केस दर्ज हुआ।
आरोपी 6ः स्टॉक प्रभारी व एनेस्थीसिया के हेड डॉ.सतीश कुमार
रपट के अनुसार ऑक्सीजन की सप्लाई की सुनिश्चितता डॉ. सतीश कुमार पर ही थी। डॉ. सतीश ऑक्सीजन की उपलब्धता सम्बंधित व स्टॉक आदि के प्रभारी थे। लेकिन इन्होंने कभी भी स्टॉक रजिस्टर या लॉग बुक चेक करने की जहमत तक नहीं उठाई। कर्मचारियों के भरोसे सब रहा। हद तो यह कि जब ऑक्सीजन के लिए अफरातफरी मची थी, पूरे देश की निगाहें मेडिकल कॉलेज में थी तो वह बिना किसी आधिकारिक सूचना के 11 अगस्त को मुंबई चले गए। 100 बेड वाले एईएस वार्ड में एसी खराब होने की लिखित शिकायत के बाद भी इन्होंने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। ऐसा आरोप रिपोर्ट में है। बताया जा रहा एसी खराब होने पर मासूम बच्चों के गर्मी से बेहाल होने का जिक्र लिखित रूप से हटाए गए प्रभारी डॉ. कफील ने दी थी। इसलिए इनपर केस हुआ।
आरोपी 7ः डॉ. कफील खान
यह 100 नम्बर के प्रभारी थे। ऑक्सीजन खत्म होने की बात अधिकारियों तक समय से नहीं पहुंचाई। इसके अलावा इनपर प्राइवेट प्रैक्टिस का भी आरोप है। इसलिए ये भी इस मामले में आरोपी हैं और इनके खिलाफ भी केस दर्ज है।
आरोपी 8ः डॉ. पूर्णिमा शुक्ला
डाॅ. पूर्णिमा शुक्ला निलंबित प्राचार्य डाॅ. राजीव मिश्र की पत्नी हैं। गोला में तैनाती के बाद खुद को मेडिकल कॉलेज में संबद्ध कराया गया। फोन पर कर्मचारियों से कमीशन की मांग की जाती थी। आरोप है कि पेमेंट में लेटलतीफी में इनका भी योगदान था। ये मेडिकल कॉलेज में हर मामले में अवैध हस्तक्षेप करती थीं। ऑक्सीजन मामले में आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज कराया गया है।
आरोपी 9ः मेडिकल कॉलेज में तैनात चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल
डॉ. सतीश कुमार के साथ आक्सीजन की उपलब्धता, लॉग बुक और स्टाक बुक का जिम्मा गजानन जायसवाल पर ही था। लॉग बुक व स्टॉक बुक में अनियमित इंट्री है। कई जगह आंकड़ों में बाजीगरी दिखाने के लिए ओवरराइटिंग भी हुई है।